Newsletter: February 2023
Yes, we're a little late. No, we're not going away. Thank you for sticking around! It means the world.
Hello, and welcome to this year’s second edition of the WICCI Haryana Arts Council Newsletter. Some of us were a little under the weather, hence the delay in publication.
This edition brings you a beautiful write-up on the Folk Art History of Haryana by poet and writer Rajni Sardana, our regular feature ‘SelfSocially’ by Ruchika Verma, and a round-up of the posts contributed by our council members. We begin with a spotlight on council president Komal Gupta.
Council Member Spotlight
We’re elated to share that Council President, Komal Gupta, was conferred the Poiesis Award for Excellence in Poetry 2023 under the aegis of the 12th Rabindranath Tagore Award International Poetry Contest 2023.
The poem, A Papyrus Drifter of Time:
हरियाणा की लोककला: सांग व स्वांग – रजनी सरदाना
भारतीय संस्कृति में हरियाणा का योगदान उल्लेखनीय है |यहाँ की संस्कृति सतरंगी है| हरियाणा के लोकसंगीत, लोकवाघ, लोकनृत्य तथा लोकनाट्य इस राज्य की संस्कृति को समृद्ध बनाते हैं| हरियाणा की भूमि को भारतीय संस्कृति व सभ्यता का पालना कह सकते हैं| जहाँ से सम्पूर्ण देश में भारतीय दर्शन व आध्यात्मिकता का ज्ञान दिया गया है|
हरियाणा की लोककला में नाट्यकला का भी प्रमुख स्थान रहा है|
हरियाणा की लोकमंच परम्परा में से आज हम सांग व स्वांग कला के बारे में जानेंगे|
सांग व स्वांग - हरियाणा की संस्कृति का जीवन दर्पण है यहाँ के निवासियों के सामाजिक और नैतिक मूल्य, लोक जीवन से जुड़ी वीरता और प्रेम की कहानियाँ,खेत- खलियान,दान-पुण्य और अतिथि सत्कार के भाव अभिव्यक्त करता है| सांग, गीत संगीत और नृत्य कला का संगम है|
सांग व स्वांग परम्परा बहुत पुरानी है|
स्वांग व सांग का सांग का अर्थ है वेश धरना, रूप धरना या नक़ल करना|
स्वांग मूलतः एक तत्सम शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है -दूसरे की हू-ब-हू नक़ल करने के लिए धारण किया गया वेश|
स्वांग व सांग के अंतर्गत किसी कथा तथा घटना को मार्मिक भावों में लयबद्ध किया जाता है |जिसका संबंध पौराणिक कथाओं तथा इतिहास आदि से भी हो सकता है |सांगी अपनी कल्पना के आधार पर भी स्वांग रचना कर सकते हैं |स्वांग मंचन के अंतर्गत श्रृंगार, शांत तथा वीर रस, हास्य रस की प्रमुखता देखने को मिलती है|
स्वांग राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र का एक लोक नृत्य नाटक है। इसमें गीत और संवाद के साथ उपयुक्त नाटकीयता और मिमिक्री शामिल है। यह आंदोलन-उन्मुख होने के बजाय संवाद-उन्मुख है। धार्मिक कहानियों और लोक कथाओं को दस या बारह व्यक्तियों के एक समूह द्वारा एक खुले क्षेत्र में या दर्शकों से घिरे एक ओपन एयर थिएटर में अधिनियमित किया जाता है। विषय नैतिकता, लोक कथाओं, प्रेरक व्यक्तित्वों के जीवन, भारतीय पौराणिक कथाओं की कहानियों और हाल के दिनों में स्वास्थ्य और स्वच्छता, साक्षरता आदि जैसे अधिक वर्तमान विषयों से अलग-अलग हैं। स्वांग की दो महत्वपूर्ण शैलियाँ रोहतक और हाथरस से हैं। रोहतक की शैली में हरियाणवी (बांगरू) तथा हाथरस की भाषा ब्रजभाषा है।
हरियाणा में आधुनिक सांग और संगीत का अगाज़ मेरठ निवासी किशनलाल भाट द्वारा 1730 ई. में किया गया| इन्हे प्रथम स्वांगी माना जाता है| इनके प्रमुख सांग हीर- रांझा, लैला -मज़नू व नौटंकी आदि हैं|
उसके पश्चात अहमद बख्श,बंशीलाल, अलीबख्श खां, अम्बाराम, शंकरलाल, बालकराम, नेतराम, पं दीपचंद सांगी, सांगी हरदेव, बाजे भगत, धनपत सिंह, राम किशन सांगी रहें, जिन्होंने सांग कला को आगे बढ़ाया और उच्च कोटि के सांग की रचना की|
पंडित लख्मीचंद हरियाणा के महान सांगी थे| जिन्हे सांग सम्राट एवं सूर्य कवि के नाम से भी जाना जाता है|
रागिनी के वर्तमान स्वरुप का जन्मदाता लख्मीचंद ही थे| उन्हें हरियाणा का शेक्सपीयर भी कहा जाता है |
राजा गोपीचंद, राजा नल, महाभारत, रामायण, सीला सेठानी, कृष्णलीला, नल-दमयंती राजा हरिश्चन्द्र, चंद्रकिरण, दुष्यंत शकुंतला, बणदेवी, मीराबाई, सत्यवान सावित्री आदि सभी सांग कला के सम्पूर्ण दृश्य हैं |
हरियाणवी संस्कृति को शिखर पर पहुंचाने वाले छह प्रमुख लोककवि हैं।
पंडित दीप चंद बहमन
पंडित लखमी चंद
जाट मेहर सिंह
बाजे भगत
पं मांगे राम
पं रामकिशन व्यास
पं. नारनौंद ( हिसार ) के रामकिशन व्यास , जिन्हें पहले ' व्यास जी ' के नाम से जाना जाता था , हरियाणवी सांग और रागनियों के क्षेत्र में एक हस्ती हैं। रागनियों को जनता के सामने प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने विभिन्न अवधारणाओं का आविष्कार किया जैसे सोनी और अन्य।
पं. सूर्य भानु शास्त्री, उनके शिष्य डॉ. सतीश कश्यप और डॉ. संध्या शर्मा, हालांकि पं. लखमी चंद घराने से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने पद्मावत, कीचक द्रौपदी, फूल सिंह नौतानी और प्रसिद्ध जानी चोर जैसे प्रमुख स्वांगों/सांगों का मंचन किया|
हरदेव ने अपनी चंबोला शैली में सुधार किया और हरियाणवी रागनी (लोक गीत) में कुछ बदलाव किए। हरदेव के एक शिष्य बजे नाई ने लोक संगीत की दोनों शैलियों का मिश्रण किया।
पं. नाथू राम, एक अन्य प्रसिद्ध स्वांगी ने कई प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया, जिनमें मान सिंह, बुल्ली, दीना लोहार और राम सिंह शामिल थे। अनूप लाठर एक प्रसिद्ध थिएटर व्यक्ति ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में स्वांग की शुरुआत की और स्वांग युवा उत्सवों का आयोजन किया और पहली बार 1999 में सतीश कश्यप के साथ प्रोसेनियम में स्वांग जानी चोर का निर्माण किया।
जोशी बिस्मिलजो हिसार से ताल्लुक रखने वाले भारत के एक प्रसिद्ध थिएटर डायरेक्टर हैं, उन्हें हरियाणा में स्वांग विकसित करने के लिए भी जाना जाता है। वर्ष 2012 में उनका हालिया प्रोडक्शन लखमीप्रेम पंडित लखमीचंद पर एक मील का पत्थर था। मनीष जोशी संगीत नाटक अकादमी द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं। वह पंडित मांगेराम' पर काम कर रहे हैं।
पंडित सूरजभान शास्त्री के कुशल मार्गदर्शन में डॉ. सतीश कश्यप और डॉ. संध्या शर्मा, पं. लखमी चंद ने स्वांग प्रदर्शन में क्रांतिकारी परिवर्तन किए थे। लुप्त होती कला को ऑक्सीजन देने के लिए स्वांग परंपराओं का पुनरुद्धार अत्यंत आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त स्वांग कलाकार डॉ सतीश कश्यप स्वांग की एकमात्र जीवित मंडली का नेतृत्व कर रहे हैं। वह ऑपरेटिव के साथ-साथ प्रोसेनियम स्टेज दोनों में परफॉर्म करता है। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD), नई दिल्ली और IIT, मुंबई में SPIC MACAY अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में। इनका चयन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय , नई दिल्ली द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित "भरंगम" में हुआ । सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय , हिसारडॉ. सतीश कश्यप के नेतृत्व में स्वांग के प्रचार-प्रसार और संरक्षण के लिए एक इकाई भी स्थापित की और जानी चोर , राजा विक्रमादित्य , फूलसिंह-नौटंकी आदि बेहतरीन प्रस्तुतियों का निर्माण और मंचन किया।
डॉ संध्या शर्मा स्वांग की एकमात्र महिला कलाकार हैं और उन्होंने अपने स्टेज पार्टनर और संरक्षक डॉ सतीश कश्यप के साथ दो नए स्वांग लिखे और निर्मित किए हैं। ये महाभारत पर आधारित हैं। नए स्वांग गोपी-उदव और वीर-बर्बरिक हैं।
19वीं शताब्दी के अंत में, सभी महिला स्वांग मंडलियों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के निकटवर्ती खादर क्षेत्र में प्रदर्शन किया । इन मंडलियों में सभी भूमिकाएँ महिलाओं द्वारा निभाई जाती थीं। कलायत ( जींद ) की सरदारी , गंगरू की नटनी, और इन्द्री ( करनाल ) की बाली ऐसी मंडलियों के कुछ नेता थे। जट्टी कलां ( सोनीपत ) के पंडित लखमी चंद को हरियाणवी रागनियों में सूर्य कवि (सूर्य कवि) के रूप में जाना जाता है। उनके द्वारा मंचित महत्वपूर्ण स्वांग में नल दमयंती , मीरा बाई , सत्यवान सावित्री , पूर्जन, सेठ तारा चंद, पूरन भगत और शशि लकरहारा। पं. पंडित लखमी चंद के बेटे तुलेराम ने प्रदर्शन की परंपरा को जारी रखा और उनके बाद उनके बेटे विष्णु अभी भी हरियाणा , उत्तर प्रदेश और राजस्थान के दूरदराज के गांवों में प्रदर्शन कर रहे हैं।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
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SelfSocially by Ruchika Verma
‘SelfSocially’ is a monthly column on Digital Marketing and Social Media by council member Ruchika Verma, a seasoned digital marketing coach and Instagram specialist. This month Ruchika shares how authors and poets can select the right social media channels to showcase their work and connect with their audiences.
How to select effective social media channels for Authors and poets
If you are an author or poet, selecting the right social media channels is an important part of your online presence. Here are a few steps to help you determine the best social media channels for your needs:
Determine audience demographics: Knowing the age, gender, location, and interests of your target audience can help you decide which social media channels they use most frequently.
Evaluate your existing audience: If you already have a following on one or more social media channels, consider where your existing audience is most active and engage with them there.
Set goals: Consider what you want to accomplish through social media. For example, are you looking to build your brand, connect with readers, or promote your latest book?
Research the different platforms: Study the features, strengths, and weaknesses of each social media channel and think about which ones align best with your goals.
Consider your content: Consider the type of content you want to share and the format that works best for each platform. For example, Instagram is great for sharing photos and graphics, while Twitter is great for quick updates and engaging with your followers.
Experiment: Start by focusing on one or two social media channels and gradually expand your presence as you become more comfortable with each platform.
Here is a list of some of the most popular social media channels for authors and poets:
Twitter: Twitter is a great platform to connect with your fans, share your work, and engage in conversations about books and poetry.
Instagram: Instagram is a visual platform that allows authors and poets to share photos and graphics related to their work.
Facebook: Facebook is a great platform for building a community of fans and connecting with your readers. It's also a great place to share book updates and promotions.
LinkedIn: LinkedIn is a professional networking platform you can utilise to connect with publishing industry professionals and expand your network.
Goodreads: Goodreads is a social network for book lovers, making it a great place for authors and poets to connect with readers, share book updates, and receive feedback on their work.
In conclusion, for authors and poets, selecting the right social media channels is important for building their online presence and connecting with their target audience. By following these steps, you can find the right social media platforms to help you connect with your audience and achieve your goals.
Monthly Round-up of February Posts
Here’s a round-up of the write-ups penned by our Council Members this past month:
Thank you for reading!
Sending you good vibes,
Team WICCI Newsletter.
“People often say that this or that person has not yet found himself. But the self is not something one finds, it is something one creates.” – Thomas Szasz